जासूसी की नई चाल: आईएसआई ने विदेशी महिलाओं से रचाई भारत विरोधी साज़िश

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भारत की सुरक्षा एजेंसियों के सामने अब एक नई और गंभीर चुनौती उभर कर आई है — दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी ISI (Inter-Services Intelligence) अब जासूसी के लिए नई और बेहद चालाक रणनीति अपना रही है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स के अनुसार, ISI ने भारत के खिलाफ साज़िश रचने के लिए विदेशी महिलाओं को एक ‘हनी ट्रैप’ के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया है।

हनी ट्रैप: पुराने जाल की नई पैकेजिंग
हनी ट्रैप कोई नया हथकंडा नहीं है, लेकिन ISI ने इसे नए तरीके से पेश किया है। विदेशी महिलाओं के माध्यम से भारतीय रक्षा कर्मियों, संवेदनशील संस्थानों से जुड़े लोगों और यहां तक कि साइबर विशेषज्ञों को निशाना बनाया जा रहा है। ये महिलाएं सोशल मीडिया, फर्जी प्रोफाइल्स और ऑनलाइन चैटिंग ऐप्स के ज़रिए संपर्क स्थापित करती हैं और धीरे-धीरे भावनात्मक जुड़ाव बनाकर संवेदनशील जानकारी निकालने की कोशिश करती हैं।

सोशल मीडिया बना ISI का नया हथियार
Facebook, Instagram, WhatsApp और Telegram जैसे प्लेटफॉर्म अब ISI की साज़िश का हिस्सा बनते जा रहे हैं। इन माध्यमों से न केवल टारगेट चुने जाते हैं, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति, कार्यस्थल, और सोशल नेटवर्क का भी गहराई से अध्ययन किया जाता है।

कुछ मामलों में, विदेशी महिलाओं ने खुद को पत्रकार, शोधकर्ता या NGO वर्कर बताकर भारतीय अधिकारियों से दोस्ती की और फिर बातचीत के दौरान महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करने की कोशिश की।

सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ी
भारतीय खुफिया एजेंसियों और रक्षा प्रतिष्ठानों ने इस नई किस्म की जासूसी को गंभीरता से लिया है। कई संदिग्ध मामलों की जांच शुरू कर दी गई है और सेना एवं सुरक्षा एजेंसियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके अलावा, अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वे सोशल मीडिया पर किसी अनजान व्यक्ति से बातचीत करने से पहले पूरी सतर्कता बरतें। खासकर उन विदेशी प्रोफाइल्स से दूरी बनाए रखें जो अत्यधिक आकर्षक, सहानुभूति जताने वाली या अत्यधिक व्यक्तिगत सवाल करने वाली हों।

देशभक्ति बनाम डिजिटल लालच
यह घटनाएं एक बार फिर से इस बात की याद दिलाती हैं कि जासूसी अब सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि मोबाइल स्क्रीन और इनबॉक्स के जरिए भी लड़ी जा रही है। डिजिटल दुनिया में भावनाओं और लालच को हथियार बनाकर दुश्मन देश हमारे देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर रहा है।

निष्कर्ष

आईएसआई की यह नई चाल न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि यह हमारी साइबर और मानसिक सुरक्षा की भी परीक्षा है। देश के हर नागरिक — खासकर जो रक्षा, तकनीक या प्रशासन से जुड़े हैं — को सतर्क रहना होगा। छोटी-सी लापरवाही, बड़ी राष्ट्रीय हानि में बदल सकती है। समय आ गया है जब डिजिटल देशभक्ति को भी उतनी ही गंभीरता से लिया जाए, जितनी सीमा पर तैनात जवान लेते हैं।

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